सारी दुनिया को दी दुविदा दो हजार बीस तुझको हल विदा....कविता-
जिला-राजनांदगांव (छत्तीसगढ़)से विरेन्द्र गंधर्व एक कविता बता रहे है|
सारी दुनिया को दी दुविदा दो हजार बीस तुझको हल विदा-
दुनिया की रफतार कमी रो रहा है आसमान रो रही जमी-
कितनो की जीवन की भुन्झ गयी असमय ही सम में-
बड़े ही पीछे रही लम्हे बड़े ही पीछे रही लम्हे-
हत्याए हुई आत्महत्याए हुई दुरी मजबूरी हुई-
छीन गई हर सुविधा दो हजार बीस तुझको अलविदा-
दो हजार बीस तुझको अलविदा ...