आदिवासी जंगल में नाचते गाते हैं...गीत-
जिला-राजनांदगांव(छत्तीसगढ़) से वीरेंद्र गंद्रव गीत सुना रहे है|
महुआ ही पीते हैं महुआ ही खाते हैं-
आदिवासी जंगल में नाचते गाते हैं-
आदिवासी जंगल में मंगल मनाते हैं-
अपने जीवन को सुखमय मनाते हैं-
रोगी हुए तो जड़ी बूटी है-
रोगों से हो जाती जल्दी छुट्टी है-
स्वस्थ है मस्त है बॉडी जबरजस्त है-
घर में गरीबी है फिर भी नहीं कष्ट है...
Posted on: Jun 11, 2022. Tags: CG RAJNANDGAON SONG VIRENDRA GANDHARV
कहानी : काले गोरे का भेद...
राजनांदगांव, छत्तीसगढ़ से वीरेन्द्र गंधर्व एक कहानी सुना रहे हैं, जिसका शीर्षक है,”काले गोरे का भेद ” | अपने संदेश रिकॉर्ड करने के लिये 08050068000 पर मिस्ड कॉल कर सकते हैं|
Posted on: Jun 05, 2022. Tags: CG RAJNANDGAON STORY VIRENDRA GANDHARV
मिलजुल के बाधाओं को पार करो...गीत-
वीरेंद्र गंधर्व राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) से दिव्यागों के लिए एक गीत प्रस्तुत कर रहे हैं
दिव्यांगता चुनौती है स्वीकार करो, मिलजुल के बाधाओं को पार करो-
एक दूजे का सदा सत्कार करो मिलजुल के बाधाओं को पार करो-
एकता में बाल है ये सदा याद रहे सच्ची लग्न हौसला साथ रहे-
साथियों की टोली एक तैयार करो मिलजुल के बाधाओं को पार करो-
आगे बड़ों और औरों को बदने दो उनको भी आसमान पर चढ़ने दो-
प्रेरणा देनी है लेनी है संघर्ष अपनी तो पुश्तैनी है मिलजुल के बाधाओं को पार करो...
संपर्क नंबर@8962001946.
Posted on: Jan 11, 2022. Tags: CG RAJNANDGAON SONG VIRENDRA GANDHARV
सूरज रे जलते रहना सूरज रे जलते रहना...गीत-
वीरेंद्र गंधर्व, राजनदगांव (छत्तीसगढ़) से एक गीत सुना रहे हैं:
जगत भर की रोशनी के लिए, करोड़ों की जिंदगी के लिए-
सूरज रे जलते रहना ,सूरज रे जलते रहना-
जगत के कल्याण के लिए तू जन्मा है,जगत के वास्ते हर दुख उठा रे-
भले ही अंग तेरा भस्म हो जाए,तू जल-जल कर यहाँ किरने लुटाता रहे-
यही लिखा है तेरे भाग में, तेरा जीवन रहे आग में-
सूरज रे जलते रहना ,सूरज रे जलते रहना...
Posted on: Jan 09, 2022. Tags: CG RAJNADGANV SONG VIRENDRA GANDHRV
सारी दुनिया को दी दुविदा दो हजार बीस तुझको हल विदा....कविता-
जिला-राजनांदगांव (छत्तीसगढ़)से विरेन्द्र गंधर्व एक कविता बता रहे है|
सारी दुनिया को दी दुविदा दो हजार बीस तुझको हल विदा-
दुनिया की रफतार कमी रो रहा है आसमान रो रही जमी-
कितनो की जीवन की भुन्झ गयी असमय ही सम में-
बड़े ही पीछे रही लम्हे बड़े ही पीछे रही लम्हे-
हत्याए हुई आत्महत्याए हुई दुरी मजबूरी हुई-
छीन गई हर सुविधा दो हजार बीस तुझको अलविदा-
दो हजार बीस तुझको अलविदा ...