आदिवासियों का सांकृतिक गीत संगीत-
जिला-नारायणपुर (छत्तीसगढ़) से उत्तम आतला आदिवासी गीत संगीत सुना रहे हैं| ये एक सामूहिक कार्यक्रम है| जिसमे कई लोग मिलकर ढोल बजाते हैं| नाचते हैं| ये उनका पारंपरिक त्यौहार है| जिसे वे वर्षो से मना रहे हैं|
Posted on: Jun 26, 2019. Tags: CG MUSIC NARAYANPUR UTTAM ATALA
शांति पदयात्रा बस्तर और यहां के आदिवासियों के लिए बहुत ज़रूरी है, इसमें सभी को जुड़ना चाहिए...
नया रायपुर (छत्तीसगढ़) से उत्तम आतला परलकोट, बस्तर संभाग, जिला-कांकेर के सांथी सुरेश कुमार कतलामी से 2 अक्टूबर 2018 को होने वाली शांति पदयात्रा पर चर्चा कर रहे हैं, वे अपनी गोंडी भाषा में बता रहे हैं कि महात्मा गाँधी के जन्म दिन पर शुरू होने वाली शांति पदयात्रा जो आंध्र के चट्टी गाँव से शुरू होगी और 12 अक्टूबर को बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर तक आएगी वह पूरे बस्तर क्षेत्र और आदिवासी समाज के लिए बहुत अच्छा और बहुत जरुरी है, ये बस्तर के आदिवासियों और बस्तर क्षेत्र में शांति की पहली पहल है, इससे क्षेत्र की समस्याएं हल हो सकती है, बस्तर में आज जो अशांति है लोग उसे तोड़कर बाहर आना चाहते हैं, इसमें ज़्यादा से ज्यादा लोगो को जुड़ना चाहिए |
Posted on: Sep 25, 2018. Tags: CG PADYATRA PEACE RAIPUR SHANTI UTTAM ATALA WALK
आजकल जल, जंगल, ज़मीन सबको बर्बाद किया जा रहा है : 105 वर्ष के बुजुर्ग (गोंडी भाषा में)...
ग्राम-सोडे, तहसील एवं ब्लॉक-अंतागढ, जिला-उत्तर बस्तर कांकेर (छत्तीसगढ़) से उत्तम आतला के साथ एक दादा जुड़े है उनका उम्र 105 वर्ष है और स्वस्थ हैं चल फिर सकते हैं. वे पहले के समय और उस समय की संस्कृति के बारे में गोंडी भाषा में बता रहे है, वे कह रहे हैं कि पहले का जो जमाना था वो बहुत अच्छा जमाना था | लेकिन आज की दुनिया दिनों दिन खराब की ओर बदलती जा रही है. जल, जंगल, जमीन को काटा जा रहा है और बेच दिया जा रहा है और बड़े-बड़े नदियों के ऊपर डेम बनाकर पानी को रोका जा रहा है और बोल रहे है कि पहले के ज़माने में तीन मुट्टी चावल 10 लोगो को हो जाता था लेकिन आज का ज़माना पूरा बदल रहा है| उत्तम आतला@9404984750.
Posted on: Aug 20, 2018. Tags: CHHATTISGARH CULTURE GONDI KANKER UTTAM ATALA
हम आदिवासियों का जीवन पिछले 100 साल में बहुत कुछ बदल चुका है: 105 वर्ष उम्र के वृद्ध...
ग्राम-सोडेग्राम, तहसील-आमाबेडा, जिला-उत्तर बस्तर कांकेर (छत्तीसगढ़) से उत्तम आतला गांव के एक वृद्ध से चर्चा कर रहे हैं, वे 105 साल के हैं, और आज भी चल-फिर लेते हैं, दादा बता रहे हैं आज 100 साल बाद बहोत कुछ बदल चुका है, हम गोंड आदिवासी पहले हंसिया पकड़ कर नदी किनारे बांस का बस्ता निकाल कर लाते थे, और वन में भोजन तलाशने के लिए तीर, धनुष, टंगिया जैसे औजार लेकर जाते थे, जो जंगली जीव मिलता जैसे खरगोश, हिरन, चिड़िया मारकर लाते थे, उसके बाद गाँव में एक जगह होता था, जहां पर सारे शिकार किये जीवो को लाते और पका कर खाते थे, ख़ुशी मनाते थे, अपने परिवार के लिए हिस्सा लेकर जाते थे, नाच-गाना करते थे, आज वो नही है, सब कुछ बदल चुका है|
Posted on: Aug 04, 2018. Tags: STORY UTTAM ATALA
माठ आन्दोम आदिवासी माठ आन्दोम कोयावासी...गोंडी गीत
जिला-गढ़चिरोली (महाराष्ट्र) से उत्तम आतला एक गोंडी गीत सुना रहे है:
माठ आन्दोम आदिवासी माठ आन्दोम कोयावासी-
घोटुल ता अगा उदवालो, न्याय निवा केवालोर-
माठ आन्दोम आदिवासी माठ आन्दोम मूलवासी-
दिवाडी महिना तोचोड़े कोंदान पूजा केवालोर-
माठ आन्दोम आदिवासी माठ आन्दोम कोयावासी...
उत्तम आतला@9404984750.