मिलने की न कोशिश करना घर से नहीं निकलना...कोरोना गीत
ग्राम-गोरबहरी, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से त्रिलोकी सिदार एक कोरोना गीत सुना रहे हैं , जिसका बोल है ” | मिलने की न कोशिश करना घर से नहीं निकलना कोरोना फैल जाता है ” | अपने गीत संगीत रिकार्ड करने के लिये दिये नंबर 08050068000 पर मिस्ड कॉल कर सकते हैं | (AR)
Posted on: Jun 02, 2021. Tags: CG CORONA SONG RAIGRH TRILOKI SIDAR
जागो मोहन प्यारे संवारी सूरत मोरी मन भावे...भैरव राग-
ग्राम-गोरबहरी , जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से त्रिलोकी सिदार एक भैरव राग सुना रहे हैं:
जागो मोहन प्यारे संवारी सूरत मोरी मन भावे-
सुंदर लाल हमारे जागो मोहन प्यारे-
रात समय उठी भानू उदय भय-
ग्वाल बाल सब भूपते ठाढ़े-
दर्शन के सब भूखे प्यासे-
उठियो नंदकिशोरे जागो मोहन प्यारे...(AR)
Posted on: May 28, 2021. Tags: CG RAIGARH SONG TRILOKI SIDAR
ब्रिरीलोरकी सिदार हारमोनियम बजा रहा है सनबती
ग्राम-गोरबहरी, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से त्रिलोकी सिदार हारमोनियम की धुन सुना रहे हैं, ऐसे गीत संगीत रिकॉर्ड करने के लिये और सुनने के लिये 08050068000 पर मिस्ड कॉल कर सकते हैं (AR)
Posted on: Jul 21, 2020. Tags: CG RAIGARH SONG TRILOKI SIDAR VICTIMS REGISTER
दृष्टिबाधित, मूक, बधिर बालक बालिकाओं को इस स्कूल में दाखिला दिला उच्च शिक्षा प्राप्त कराएं...
गोरबहरी, थाना-तमनार जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से त्रिलोकी सिदार बता रहा है कि यदि आप किसी दृष्टिबाधित छात्र छात्राओं को जानते हैं तो उनके लिए नंदा अंध मूक बधिर विद्यालय भगवानपुर जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़ में दाखिला दिला कर उच्च शिक्षा प्राप्त कराए और उनको उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर कराएं जहा भी दृष्टिबाधित छात्र एंव छात्राएं हो यह जानकारी उन लोगों सूचित करें. इस समय लॉकडाउन के कारण दाखिला नही लिया जा रहा है जैसे ही लॉकडाउन खत्म होगा जिसकें पश्चात् दाखिला का कार्य फिर शुरू करेंगे | 9993567624 इस संपर्क नंबर के माध्यम से अधिक जानकारी ले सकते है. संपर्क@9516276626. RK
Posted on: Jun 14, 2020. Tags: EDUCATION HANDICAPPED RAIGARH CG SONG TRILOKI SIDAR VICTIMS REGISTER
सबसे निराला है मेरा वतन, सारे जहाँ का है ये चमन...गीत-
जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से त्रिलोकी सिदार एक गीत सुना रहे हैं:
सबसे निराला है मेरा वतन-
सारे जहाँ का है ये चमन-
दीपक जलाते चंदा सूरज-
लाते पानी बादल-
धानी चुनर ओढ़े धरती होती खुशी से पागल-
चारों महीने है बाग़पन...