तेन्दू पाना तोड़ेला जाबो डोंगरी में ना...
स्वाति यादव छत्तीसगढ़ से एक गीत गा रहीं हैं इस गीत को आदिवासियों के द्वारा, जब गर्मी के मौसम में तेन्दू पत्ता तोड़ने जाते हैं तो इस गीत को गाया जाता है।
री-री.... रेरे रियोला....
रेरेला... रेला रेला रियोला...
रेरेला... रेला रेला रियोल......
हायरे हाय जंवारा डोंगरी में ना,
तेन्दू पाना तोड़ेला जाबो डोंगरी में ना
चार खाबो तेन्दू पाबो लवहा जाबो ना
जंवारा डोंगरी में ना। 2
बहना बांह जोड़के अमरेला जाबो ना ,
जंवारा डोंगरी में ना। 2
हाय रे हाय जंवारा डोंगरी में ना,
तेन्दू पाना तोड़ेला जाबो डोंगरी में ना। 2
आमा मौरे, मौहा मौरे, अमली लटलटाए,
जंवारा डोंगरी में ना। 2
बहना बांह जोड़के अमरेला जाबो ना ,
जंवारा डोंगरी में ना। 2
हायरे हाय जंवारा डोंगरी में ना,
तेन्दू पाना तोड़ेला जाबो डोंगरी में ना। 2
रेरे लोयो रेरेला....
रेरेला रेला रेला रेरेला....
रेरेला रेला रेला रेरेला....
Posted on: Mar 10, 2014. Tags: Swati Yadav
ओ नारियों उठो कि रास्ते तुम्हें पुकारते...
ओ नारियों …!
ओ नारियों उठो कि रास्ते तुम्हें पुकारते
ओ नारियों……… !
ओ नारियों उठो कि रास्ते तुम्हें निहारते
उठो कि राज-पाठ का गुबार धुल के मिट सके
उठो कि ऊंच-नीच का जहाँ में फर्क मिट सके
कोई किसी पर जोर जुल्म अब न कर सके यहां
अकाल और भूख से कोई न मर सके यहां
ओ नारियों ……।
उठो कि आंसुओं का राज इस जमीं से ख़त्म हो
उठो कि दमन नारियों का इस जमीं से ख़त्म हो
उठो कि जिंदगी का आफताब जगमगा सके
उठो कि मौत का निशान अब न सर उठा सके
ओ नारियों …!
ओ नारियों उठो कि रास्ते तुम्हें पुकारते
ओ नारियों……… !
ओ नारियों उठो कि रास्ते तुम्हें निहारते
ओ नारियों …!