कहूं कैसे कि क्या गम है, कि ये वाकई मेरी आखें नम है...
कहूं कैसे कि क्या गम है
कि ये वाकई मेरी आखें नम है
दरों दिवार भीगी है खून से लतपत आंगन है
फ़िक्र करो कि रो रहा है जो व्याकुल हो रहा है
जो शहीदो का प्यारा जो भारत का दामन है
मराठी नाम पर कोई हिन्दू में आता है
जो शहीद हो क्र देश भक्त कहलाता है
क्र गुजरा है जो जब खून लड़ाता है
गिराता है जलाकर बत्तियां रोटियां पकाता
लेकिन गुमान न करना न कोई गुंजन है