रांची : झारखण्डी भाषाओं को राजभाषा का दर्जा देने की मांग को लेकर रैली
सभी झारखण्डी भाषाओं को राजभाषा का दर्जा देने, प्राथमिक स्तर पर मातृभाषाओं में शिक्षण और शिक्षकों की नियुक्ति करने और राज्य में झारखंडी भाषा साहित्य अकादमी गठन करने की मांग को लेकर आज रैली निकाली गई और रांची के अल्बर्ट एक्का चौक पर धरना दिया गया। झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा द्वारा आयोजित इस रैली और धरना में राज्य भर से आए आदिवासी एवं क्षेत्रीय भाषाओं के लेखकों, कलाकारों, भाषाविदों और संस्कृतिकर्मियों ने भाग लिया। अखड़ा ने मांग किया है कि सभी 9 झारखण्डी भाषाओं (हो, मुंडारी, कुड़ुख, संताली, खड़िया, नागपुरी, खोरठा, पंचपरगनिया और कुरमाली) को राजभाषा का दर्जा दिया जाए। त्रिभाषा फार्मूला के तहत राज्य की भाषा नीति घोषित की जाए। प्राथमिक स्तर से झारखण्डी भाषाओं में शिक्षा और शिक्षकों के नियुक्ति की गारंटी की जाए। राज्य के सभी विश्वविद्यालय में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में रिक्त पदों को भरा जाए। झारखंडी मूल्यों पर आधारित एकरूप पाठ्यक्रम लागू किया जाए। ‘आदिवासी’ एवं ‘होड़ संवाद’ पत्रिकाओं का नियमित मासिक प्रकाशन अविलंब शुरू हो। झारखंडी भाषाओं के पत्र-पत्रिकाओं के प्रोत्साहन के लिए विज्ञापन नीति बनायी जाए।