लाखो घर बर्बाद हो गए इस दहेज़ की बोली में...दहेज़ कविता
ग्राम-पड़ेगाँव, तहसील-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से बालकवि सोनवानी दहेज़ के ऊपर आधारित एक कविता सुना रहे हैं:
लाखो घर बर्बाद हो गए इस दहेज़ की बोली में-
अर्थी चढ़ी हजारो कन्या बैठ न पायी डोली में-
कितनो ने कन्या कि अपनी हाथ पीले कराने में-
कहाँ-कहाँ तक मस्तक टेके हाथी के सपन बताने में-
जिस पर बीती वाही जानता बात नहीं हैं कहने की-
जीवन भर जो कर्ज लग गई सीमा टूटी सहने की...