मुझे घर नहीं बिन सहारो का, बस तेरा सहारा काफी हैं...गीत
जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से संजीव कुमार दीवाना एक गीत सुना रहे हैं:
मुझे घर नहीं बिन सहारो का,बस तेरा सहारा काफी है-
मझधार में डूबने वालो को एक तेरा किनारा काफी है-
बन-बन के सहारे टूटते हैं, हिरासत पुरानी है जग की-
टूटे न कभी छूटे न कभी बस तेरा सहारा बाकी है-
बिना रिश्वत और सिफारिश से कोई काम नहीं बन सकता है-
बिगड़ी संवर जाने के लिए एक तेरा ही सहारा काफी है...