क्यों न हम देश को रूप दे नया, नगर को गांव को स्वरूप दे नया...
क्यों न हम देश को रूप दे नया
नगर को गांव को स्वरूप दे नया
सस्ष्ट-सजग रंग दें जीने का नया ढंग दे
आशा का नया रंग दे
निर्माण में हैं हम
निर्माण में हैं हम
संग दे नया आ...
सष्टिशुलभ रीती दे
हम्बल को मित दे
हसी ख़ुशी और प्रीत दे
गीत दे संगीत दे
हम भाविष्य को
हम भाविष्य को
आतीत दे नया आ...
क्यों न हम देश को
रूप दे नया
नगर को गांव को
हम स्वरूप दे नया.