देखो राजसत्ता और सत्ता के ठेकेदारों...एक कविता
देखो राजसत्ता और सत्ता के ठेकेदारों
शहर जाग गया है इतने जुल्मों के बाद भी
लोग हमारे आवाजों की
ग़ज़लों गीतों और कविताओं मे ज़िंदा रखते अपने दर्दों को
हमारी मुट्ठी ज़्यादा ताकतवर है
साँसे हमारी ज्वालामुखी सी
गर्म हैं और भी ज़्यादा
हम हर शर्त पर ज़िंदा रहेंगे
और तुम्हारी मौत निश्चित है
अरुण प्रधान
Posted on: Nov 29, 2012. Tags: Prem Prakash
Many organisations protest judgement on Dr Binayak Sen
Prem Prakash from Ranchi says many organisations have got together to protest against the verdict on Dr Binayak Sen. He says the culprits of Bhopal gas disaster got only 2 years of jail term and they also got bail while Dr Sen has been sent on a life imprisonment. This shows double standard of judiciary, the press note says
Posted on: Dec 26, 2010. Tags: Prem Prakash
मानव अधिकार दिवस : केदारनाथ अग्रवाल की कविता नेताशाही
राज करो जी राज करो दिल्ली के दरबार में
गांधीवादी आदर्शों के सत्यों की किलकार में
खोई खोई शहंशाही रौनक की झंकार में
सुंदर सुंदर सपने देखो शासन के शयनागार में
राज करो जी राज करो दिल्ली के दरबार में
सामंती के आलिंगन में सामंती के प्यार में
सामंती के मन के भीतर गुपचुप रखना गार में
जगमग खूनी दीप जलाए भारी हाहाकार में
राज करो जी राज करो दिल्ली के दरबार में
थैलीशाही को गोदी में, लक्ष्मी के कलहार में
सोना चांदी की खनखन में, काले चोर बाज़ार में
रक्षा के कानून बनाए शोषक के उपकार में
राज करो जी राज करो दिल्ली के दरबार में
शान धरो जी शान धरो जी अपनी शक्ति की कटार में
वार करो जी वार करो अपनी जयजयकार में
खून करो जी खून करो नेताशाही प्यार में
केदारनाथ अग्रवाल
Posted on: Dec 10, 2010. Tags: Prem Prakash
ग्लोबल गांव : बस कहने भर को दुनिया एक गांव है
बस कहने भर को दुनिया एक गांव है
जहां न कुआं का ठण्डा पानी है
और न ही पीपल का छांव है
बस कहने भर को दुनिया एक गांव है
जहां आदमी का आदमी से रिश्ता गायब है
न ही चौपाल है और न ही कोई ठांव है
बस कहने भर को दुनिया एक गांव है
जहां इधर उधर भटकते लोग हैं
भटकते लोगों के पांव में हाथ और हाथों में पांव है
जहां न रम्भाती गाय और न बैलों की घण्टी है
कुत्ता बने आदमियों के बीच सिर्फ झांव झांव है
जहां न कोयल की कूक, न ही मुर्गे की बांग है
सिर्फ आदमी के बीच कांव कांव है
बस कहने भर को दुनिया एक गांव है
प्रेम प्रकाश
Posted on: Dec 04, 2010. Tags: Prem Prakash
सवाल : ये धरती किसकी, जंगल किसका और ये नदियां किसकी...
ये धरती किसकी
राजा की
या तुम्हारी
हम सबों की
या फिर उनकी
जो धरती पर आए नहीं
ये जंगल किसका
जमीन किसकी
राजा की
या तुम्हारी
हम सबों की
या फिर उनकी
जो धरती पर आए नहीं
ये पहाड किसका
नदियां किसकी
राजा की
या तुम्हारी
हम सबों की
या फिर उनकी
जो धरती पर आए नहीं
प्रेम प्रकाश