हमारे गाँव का नाम डुमरकोट कैसे पड़ा: एक गाँव की कहानी
सीजीनेट जन पत्रकारिता यात्रा के दौरान ग्राम-डूमरकोट, पंचायत-भैंसासुर, तहसील-अंतागढ़, जिला-उत्तर बस्तर कांकेर (छत्तीसगढ़) से गांव के निवासी प्रेम सिंह मंडावी, दिलीप कुमार बघेल और अनूप मंडावी अंकित पडवार को उनके गांव के नाम के पीछे क्या कहानी है, इसका नाम डूमरकोट कैसे पड़ा, बता रहे हैं उनका कहना है हमारे गांव में कई वर्ष पहले डुमर के बहुत सारे पेड़ थे, डुमर एक फल होता है जो मीठा होता है, उसे खाते है, पेज भी बना कर पीते हैं, ये 12 महीने लगता है, उसी को देखकर पूर्वजो ने गांव का नाम डुमरकोट रखा और आज भी उसी नाम से जाना जाता है| अंकित पडवार@9993697650.