कोरची तहसील जिला गढ़चिरोली महाराष्ट्र में गोटुल पुनर्स्थापना कार्यकम (गोंडी भाषा में)...
ग्राम-ग्यारापति, तहसील-कोरची, जिला-गडचिरोली (महाराष्ट्र) में गोटुल की पुनर्स्थापना कार्यकम का आयोजन किया गया है कार्यक्रम से रनेश कोरचा के साथ बाबुराव मडावी जुड़े है वे गोटुल संघठन के बारे में जानकारी गोंडी भाषा में बता रहे है कि यह कार्यक्रम का उद्देश्य यही है की हमारी संस्कृति, भाषा ख़त्म होने की कगार में है इससे लड़ने के लिए हम चाहते हैं कि गाँव गाँव की संगठन तैयार हो और गोटुल की संस्कृति सामने आये! गाँव गाँव की संगठन में रीतिरिवाज की बात हो और यह संगठन संपूर्ण इलाके में हो इसीलिए इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन कर रहे है जिससे पूरे गोंडवाना क्षेत्र में गोटुल की स्थापना हो सके
Posted on: Jul 19, 2018. Tags: GONDI RANESH KORCHA
जब से गोटुल बंद हुआ है तब से हमारा समाज पिछड़ गया है... (गोंडी भाषा में)
उत्तम आतला के साथ में जुड़े है, रमेश कोरचा जो तहसील-कुर्खेडा, जिला-गढ़चिरोली (महाराष्ट्र) से है वे गोंडी भाषा के गीत संगीत और रीति रिवाज के बारे में जानकारी दे रहे है, वे बता रहे है कि हमारे गोंडी गीतों का बहुत पुराना इतिहास है | लेकिन आज की युवा पीडी फ़िल्मी गीतों की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे है| उससे लोग गलत रास्ते की तरफ बढ़ रहे है | पहले गोटुल हमारी शिक्षा का बहुत अच्छा माध्यम था उसमे लोग अपने विचारो का अदान प्रदान करते थे | एक सम्पूर्ण न्याय पद्धति थी उससे हमारी गाँव की रक्षा भी होती थी | लोग रात के 12-1 बजे तक गोटुल में खेलते रहते थे उससे गाँव की देखभाल होती थी | जब से गोटुल बंद हुआ है तब से हमारा समाज पिछड़ गया है | आज की नई पीडी में माँ बाप भाई बहन कोई रिश्ते को नहीं मानते है|
Posted on: Jul 14, 2018. Tags: GONDI RAMESH KORCHA
जिस समाज की भाषा ख़त्म हो गई हो वो समाज धीरे धीरे ख़त्म हो जाता है... (गोंडी भाषा में)
उत्तम आतला के साथ आज जुड़े है रानेश कोरचा जो कि तहसील-कुरखेड़ा, जिला-गढ़चिरोली (महाराष्ट्र) से है वे गोंडी भाषा के सबंध में बात कर रहे है गोंडी भाषा जीवित रहना जरुरी है क्योंकि जिस समाज की भाषा जिन्दा रहता है वो समाज जिंदा रहता है जिस समाज का भाषा ख़त्म हो गया हो वो समाज ख़त्म! शासन प्रशासन ने गोंडी भाषा को खत्म करने का षड्यंत्र बना रही है! जीवित रखने के लिए जैसे स्कूलो में मराठी, हिंदी के साथ साथ एक विषय होना चाहिए आदिवासी विभाग द्वारा चलाये जा रहे आश्रम स्चूलो में गोंडी भाषा में पढाई होनी चाहिए| भर्ती प्रक्रिया में गोंडी भाषिक लोगो को प्रथम स्थान होनी चाहिए |
Posted on: Jul 13, 2018. Tags: GONDI RANESH KORCHA
वनांचल स्वर : कड़ी पेड़ के दाने खाने से शरीर स्वस्थ रहता है (गोंडी भाषा में)
रानेश कोर्चा महाराष्ट्र से है जो अभी ग्राम पाटनकस छत्तीसगढ़ में है और वे गोंडी भाषा में कड़ी के दाने के बारे में बता रहे है जिसको बच्चे लोग चावल के साथ खाने में बहुत पसंद करते है और उसके दाने के उबालकर भी खाया जाता है. वे कह रहे हैं कि उसमे बहुत पौष्टिक आहार रहता है और उसको खाने से शरीर स्वस्थ रहता है | उसको ज्यादातर गाँव के क्षेत्रो में खाया जाता है| ऐसे कई प्रकार के कड़ी, इमली, चार है | इस तरह की चीजे शहरो में नहीं है | इसलिए शहर के खाने में और गाँव के खाने में बहुत अंतर होता है | कड़ी के दानो को गाँव के बच्चे लोग बहुत चाव से खाते है और उसको खाकर बहुत खुश रहते है| ये ज्यादातर जंगलो में मिलता है| रानेश कोर्चा@7588774369.