हे नव भारत के करुण वीर झन भूलव अपन पुरुषार्थ...कविता
ग्राम-सिंगपुर,तहसील-पंडरिया, जिला-कबीरधाम, (छत्तीसगढ़) से ओमकार मारकाम एक कविता सुना रहा है:
भारत बन जाहि नन्द नवन-
उधर कवि कोदूराम दलित-
हे नव भारत के करुण वीर-
हे भीम भागरी के महावीर-
झन भूलव अपन पुरुषार्थ बर...
Posted on: May 21, 2019. Tags: CG KABIRDHAM MARKAM OMKAR PANDARIYA SONG VICTIMS REGISTER
चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के बारे में जानकारी
ग्राम- सिंहपुर तरहसील- पंडरिया जिला- कबीरधाम से ओमकार मरकाम चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के बारे में बता रहे है| चंद्र ग्रहण पूर्णिमा की रात में पृथ्वी, सूर्य और चन्द्रमा के बिच होता है| कभी कभी एक ही पल पर एक ही सीधी रेखा में होते हैं, और चन्द्रमा पृथ्वी और सूर्य की परछाया से होकर गुजरता है| पृथ्वी की परछाया में चण्द्रमा का कोई भी हिस्सा नहीं दिखाई नहीं देता, इसे चंद्रग्रहण कहते हैं| सूर्य ग्रहण, अमावस्या के दिन चन्द्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच होता है| कभ कभी चन्द्रमा सूर्य और पृथ्वी के बिच होता है उस समय चन्द्रमा सूर्य का कुछ हिस्सा ढक लेता है जिससे सूर्य पूरा दिखाई नहीं देता, इसे सूर्यग्रहण कहते हैं|
Posted on: May 18, 2019. Tags: CG EDUCATION KABIRDHAM OMKAR MARKAM SONG VICTIMS REGISTER
सौरमंडल के बारे में जानकारी
ग्राम- सिंहपुर तरहसील- पंडरिया जिला- कबीरधाम से ओमकार मरकाम सौरमंडल के बारे में बता रहे है|
सबसे पहले ग्रह है बुध(मरकरी), दूसरा ग्रह है शुक्र(वीनस) तीसरा ग्रह है पृथ्वी(अर्थ), चौथा है मंगल(मार्स). पांचवा ग्रह है बृहश्पति(जुपिटर), छटा ग्रह है शनि(सैटर्न), सातवा ग्रह है अरुण( यूरेनस) और अठवा ग्रह है वरुण(नेप्टून). इसके अलावा प्लूटो भी है लेकिन वैगनिको के परिभाषा के अनुसार प्लूटो ग्रह में नहीं बैठता है इसलिए इसे ग्रहो के केटेगरी में नहीं रखा गया है|
Posted on: May 18, 2019. Tags: CG EDUCATION KABIRDHAM OMKAR MARKAM SONG VICTIMS REGISTER
ये भारत के तरुर वीर...कविता
ग्राम- सिंहपुर तरहसील- पंडरिया जिला- कबीरधाम से ओमकार मरकाम एक कविता सुना रहे है|
ये वीर भगीरथ महावीर,
धन भला अपन तरुर स्वरात फल,
फरहर मारत अब रंग महल,
ये रात तेरे, सरकार तेरे,
ये दिल्ली के दरवार पर...
Posted on: May 17, 2019. Tags: CG KABIRDHAM OMKAR MARKAM POEM SONG VICTIMS REGISTER
नाप के पैमाने की कहानी
ग्राम- सिंहपुर तरहसील- पंडरिया जिला- कबीरधाम से ओमकार मरकाम नाप के पैमाने की कहानी सुना रहा है|
आज से सौ साल पहले लोग अपने बीते, पंजे, से ही लंबाइयाँ नापते थे| सभी लोगो के बीते और पंजे की लम्बाई अलग अलग थे, इससे लोगो को काफी परेशानी होती थी| लोग फिर एक ही पैमाना बना लिया, उसे छोटे छोटे हिस्सों में बाँट लिया| फिर उसी से गज, इंच प्रचलन में आया, पर हर एक देश का अपना अपना पैमाना था| वहां के लोग अपने अपने पैमाने से नापते थे| यह काफी परेशानी की बात थी| फिर फ्रांस सामने आया और पैमाने का एक यूनिवर्सल रूल लाया जो आज हम सब उसे इस्तेमाल करते है, वह है मीटर|