मोर संग चलो रे,मोरे संग चलो गा...छत्तीसगढ़ी गीत
माहेश्वरी वासनिक ग्राम सहवाड़ा,तहसील चारमा,जिला कांकेर, छत्तीसगढ़ से एक छत्तीसगढ़ी गीत गा रही हैं
मोर संग चलो रे,मोरे संग चलो गा
ए गिरे परे हप्ते मन अउ परे डरे मनखे मन
मोर संग चलो रे,मोरे संग चलो रे,
मैं लहेरी अब मोर लहर माँ फला फूलो हरियालो,
महानदी और अरपा पैरी तन,मन ला करियालो।
कहाँ जाओं बड़ी दूर है गंगा,साथी यहाँ तरो रे,
मोर संग चलो रे, मोरे संग चलो रे
बिपत के संग जुझेबर संगी ताना ला बांधे हन,
सरगला पृथिबी हाँ प्राण ऐसे ठाने हन।
मोर सुमत के सरग नसेनी जुर मिल सभी चढ़ौ रे
मोर संग चलो रे,मोरे संग चलो रे...
Posted on: Mar 22, 2014. Tags: Maheshwari Varshnik
चला चली भैया,चला चली बहनी...छत्तीसगढ़ी संघर्ष गीत
चला चली भैया,चला चली बहनी
जोड़े के जोड़े के भैया संगठन बनाबो
एक ही जगह रहिबो,एक ही जगह बसिबो
अपन अधिकार बर हमन अधुआबो।
जोड़े के जोड़े के जोड़े के भैया संगठन बनाबो
चला चली भैया,चला चली बहनी
जोड़े के जोड़े के जोड़े के भैया संगठन बनाबो
Posted on: Mar 15, 2014. Tags: Maheshwari Varshnik
राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति बन गयी, गरीबन का तो भाग्य खुल गयी...
सुनो भैया जी सुनो बहन जी
मन में हो विश्वास
दुनिया में हो गयी है जय जग की ऐसी लाज
ला ला ला ला ला
राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति बन गयी
गरीबन का तो भाग्य खुल गयी
साथे गरीबन हम लड़े है
पैदल चल निकला
ला ला ला ला ला