कितनो की अंतिम शाम हुई है...देशभक्ति कविता
जिला-मधेपुरा (बिहार) से मुन्जन कुमार एक देशभक्ति कविता सुना रहे है:
कितनो की अंतिम शाम हुई है-
फिर से सर जाम हुई है-
माँ ने है अपने लाल खो दिया-
जिसको देख संसार रो दिया-
विधवा खुद को कोस रही हैं-
अपने आंसू पौछ रही हैं-
घुंगरू में आवाज नहीं है-
सत्ता को कुछ नाज नहीं है-
पाँव में रोटी पायल है-
आँखों में काजल घायल है-
भारत माता भी कायल है-
सर्पो से चन्दन घायल है-
आतंकी बम फेक रहे है-
नेता रोटी फेक रहे है...