एक औरत की बेईमानी...कविता -
संतरामपुर,जिला-दाहोद(गुजरात) में जन्मी कवियत्री डॉ मालिनी गौतम जी अभी महिलाओं की स्थति पर आधारित एक कविता वाचन कर रही हैं जिसका शीर्षक है ‘’औरत की बेईमानी’’ उनके अनुसार एक औरत जो बेटी होती है, बहन होती है पत्नी होती है माँ होती है प्रेमिका होती है और अपने हर रिश्ते को मेहनत और इमानदारी से निभाती है पर इतनी जिम्मेदारियां निभाकर वो कब-कब खुद से कितनी बेईमानियाँ करती हैं ये जमाना नहीं जान पाता | पुरुष तो कम से कम कभी नहीं जान पाते,एक औरत के नजरिये से प्रस्तुत है-
मैं हूँ पारंगत खुद को धोखा देने में-
हद, लिमिट या सीमा जैसे शब्द हो जाते हैं अस्तित्वहीन-
जब मैं उतर आती हूँ खुद से ही बेईमानी करने पर-
अलस सुबह देखे गए सपनो के चीथड़े उड़ाना मुझे खूब आता है-
नींद में बुदबुदाये नामों पर ताले लगाना-
मुझे खूब आता है एक बेहतरीन रफूगर की तरह माहिर हूँ मैं-
उधड़ी सीवनो और झाकते सूराखों पर थिगडे मारने में...
Posted on: Jan 28, 2018. Tags: MALINI GAUTAM
अब उठो घंटा बजाओ...कविता -
संतरामपुर, जिला-दाहोद (गुजरात) से कवियत्री डॉ मालिनी गौतम का कविता वाचन प्रस्तुत है उन्ही की आवाज में:
वक्त कब से कैद है कब तलक सोओगे तुम-
अब उठो घंटा बजाओ-
झूठ की इस भीड़ में सच तिरोहित हो गया-
इस गहन चिंता तले, दिन सिमट कर सो गया-
सो रहे रक्षक सभी चोर अब मुस्तेद है-
जागकर इस नींद से अब उठो घंटा बजाओ...