वन से अपना जीवन, वन ही अपना प्राण हैं...वन पर कविता
ग्राम-बंजारी, जिला-सिवनी, मध्यप्रदेश से लक्ष्मण कुमार वन पर एक कविता सुना रहे हैं :
वन से अपना जीवन, वन ही अपना प्राण हैं
वन समितियों के माध्यम से, इन्हें बचाना आन है
वन अपने हैं, कब्जा इन पर , कोई व्यक्ति नहीं कर ले
वन्य जीव हैं मित्र ! न इनका कोई भी शिकार कर ले
हर अवैध धंधे पर रखना, अंकुश अपना धर्म है
हो ना अवैध चराई-कटाई, खनन न चोर कोई कर ले
वन से अपना जीवन, वन ही अपने प्राण हैं
हम रक्षक अपने जंगल के, भक्षक को मार भगाएंगे
लकड़ी-बल्ली-बाँस मुफ्त रूप में, हम जंगल से पाएंगे
वन दोहन से प्राप्त राशि का, अंश प्राप्त होगा हमको
अपने जंगल में मंगल हम, मिलकर सभी मनाएंगे
वन से अपना जीवन, वन ही अपने प्राण हैं
वन समितियों के माध्यम से, इन्हें बचाना आन है