धिन धिन धा धमक धमक मेघ बजे...कविता-
कुमारी रेशमी केवट ग्राम+पंचायत-अमगंवा जिला-अनुपपूर मध्यप्रदेश से एक कविता सुना रही है:
धिन धिन धा धमक धमक मेघ बजे-
दामनी या गई धमक मेघ बजे-
दादुर का कंठ खुला मेघ बजे – धरती का यह ह्रदय खुला मेघ बजे-
पंख का हरी चंदन मेघ बजे-
हाल है अभिन्दन मेघ बजे-
धिन धिन धा धमक धमक मेघ बजे...