खाने को मुंह एक है दो-दो हाथ कमाने को...कविता
ग्राम-देवरी, जिला-सूरजपुर (छत्तीसगढ़) से ख़ुशी कुमारी एक कविता सुना रही हैं:
खाने को मुंह एक है दो-दो हाथ कमाने को-
किसी के आगे फिर न जाए हम झोली फ़ैलाने को-
रूप बदल देंगे मेहनत से उजड़े रेगिस्तानो का-
करने को निर्माण चला है पत्थर वीर जवानो का-
लाख-लाख गाँव वाले हिन्दुस्तान किसानो का-
करने को निर्माण चला है पत्थर वीर जवानो का...