पंख पसारे नील गगन में उड़ चले विविध पक्षी...कविता-

ग्राम-तमनार , जिला_रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पड़ियारी एक कविता सुना रहे हैं:
पंख पसारे नील गगन में उड़ चले विविध पक्षी-
अपना घोसला छोड़ कर दाना चुनका भक्षी-
फल बीज खाते हैं अपना जो मन आता-
कोड़े मकोड़े भी खा जाते हैं पकड़ में है जो आता-
नही करते तहस नहस किसी के बाग बगीचा-
थोड़ा मोड़ा खा लेतें जी में जो जचा-
दिन भर इधर उधर भटकते सांझ ढले आते अपना घोसला...(AR)

Posted on: Jun 11, 2021. Tags: CG KANHAIYALAL PADIYARI POEM RAIGARH

कनकी के लटका रोटी कोदो चाउर के चिथुर...छत्तीसगढ़ी कविता-

ग्राम-तमनार , जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पड़ियारी एक छत्तीसगढ़ी कविता सुना रहे हैं:
कनकी के लटका रोटी कोदो चाउर के चिथुर-
दाई हर बनाबात हबे डार के ओमा गुड-
अडबड मीठ लागथे ओखर गुरतुर गुरतुर-
ददा भागवत गा थे संझा विहनिया लगा के सूर-
खनझनि घलो बजा थे भागवत के सुरे सूर-
कनकी के लटका रोटी कोदो चाउर के चिथुर...(AR)

Posted on: Jun 11, 2021. Tags: CG KANHAIYALAL PADIYARI POEM RAIGARH

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वर...श्लोक-

ग्राम-तमनार , जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडियारी एक कविता सुना रहे हैं:
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वर-

गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुर्वे नमो न:-
इस श्लोक का तात्पर्य समझ नही सका क्यूंकि माता पिता को...(AR)

Posted on: Jun 09, 2021. Tags: CG KANHAIYALAL PADIYARI RAIGARH SHLOK

संविधान में लिखा है की हर वो जनता को संविधान जानना जरुरी है...कविता-

ग्रामतमनार , जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडियारी एक कविता सुना रहे हैं:
संविधान में लिखा है की हर वो जनता को-
संविधान जानना जरुरी है-
किन्तु शासन क्यों नही कक्षा 8 वी से-
संविधान को शिक्षा में लागू कर रहा है-
जब संविधान को हर व्यक्ति जानेंगे-
तब उनको अपना अधिकार मालूम होगा...(AR)

Posted on: Jun 09, 2021. Tags: CG KANHAIYALAL PADIYARI POEM RAIGARH

जेठ के महिना मा कैसन तरस खाबे आम...छत्तीसगढ़ी कविता-

ग्राम-तमनार , जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडियारी एक छत्तीसगढ़ी कविता सुना रहे हैं:
पंखा धुंका थे बाबा कही ये का होगे राम-
जेठ के महिना मा कैसन तरस खाबे आम-
तरे माजनिया ला देखो नीचत बेमयाय हे-
अंगत के पांव जैसन घलो उबजाये हे-
का बताओं ओकरे बजत हबे डंका-
अइसन लगा थे अइसन लेसाबा थे लंका...(AR)

Posted on: Jun 01, 2021. Tags: CG KANHAIYALAL PADIYARI POEM RAIGARH

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