वो मासूम सी, फ़्रॉक वाली, धूप है खिलती हुई, रोशनी है वो...एक कविता
वो मासूम सी, फ़्रॉक वाली
धूप है खिलती हुई
जलती हुई इक लौ है
अपनी रौशनी से उदरा हमे उजाला करती
आँधियों से, अँधेरों से उसे खौफ़ नहीं
काँपती लौ को थरथरा के
सम्भलने का हुनर आता है
इस लौ ने हर सिम्त मशाल बन के
दिखाये हैं अपने जौहर
कितने कमाल कर के
देखना है इकदिन, ये बदगुमाँ दुनिया
मानेगी उसकी अहमियत
सलाम करके उसे
रोशनी है वो
हदीजा खानम -9424281621