वनांचल स्वर : चार के बीजो को बेचकर हम लोग जीवन यापन करते है...

ग्राम-मोदे, थाना-कोरर, जिला-कांकेर (छत्तीसगढ़) से हेमबती नायक चार के बीज के बारे में बता रही हैं कि वे लोग सुबह-सुबह 4 बजे उठकर मड़िया का पेज बनाते हैं, पेज लेकर ही जंगल जाया करते हैं| जंगल में दिनभर चार का बीज इकठ्ठा करते हैं, शाम को घर पहुँचकर बीजों को भिगा देते हैं| चार को लगभग तीन-चार दिन भिगाने के बाद पानी से साफ़ करते हैं, उसके बाद चार को सुखाते हैं| बीज जब अच्छी तरह से सुख जाता है हम उसे बेचने ले जाते हैं| चार बेचकर जो पैसा मिलता है, उसी से जरूरत का सामान खरीदते हैं| इस समय चार के पेड़ बहुत कम बचे हैं, पेड़ो को लोग काट देते हैं या फिर फल-फूल को बंदर खा जाते हैं| इसलिए चार नही मिल पाता है| जंगल मे भालू भी हैं, वो दिन में जंगल में रहते हैं रात को गांव में आ जाते हैं| गांव में बेर के फल खाने और तालाब का पानी पीने आ जाते हैं, अभी तक भालुओं ने किसी भी इंसान को कोई नुकसान नही पहुंचाया है, इस जंगल में बन्दर, भालू और चीते जैसे जानवर पाए जाते हैं|
सम्पर्क:- 7587094923

Posted on: Feb 25, 2021. Tags: CG HEMBATI NAYAK KANKER VANANCHAL SWARA

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