देशद्रोहियों आंखे खोलो... कोरोना पर कविता-
सिवनी, जिला- गौरेला, पेंड्रा, मरवाही (छत्तीसगढ़) से कामता प्रसाद शर्मा कोरोना पर एक कविता सुना रहे हैं :
देशद्रोहियों आंखे खोलो-
ऐसे संकट घड़ी में जहर भरी ना बाते बोलो-
देशद्रोहियों आंखे खोलो-
सम्हल जाओ एक हो जाओ-
भारत देश का नाम बढाओ-
देश हमारा जूझ रहा है-
संकट में यूं ना विष घोलो-
देशद्रोहियों आँखे खोलो-
राज़ धर्म जो नियम बताए-
उसको संयम से अपनाओ-
मन भेद भाव ना लाये-
मदद करो देश के हित में-
अपने धर्म से अब ना डोलो-
देशद्रोहियों आँखे खोलो-
लॉक डाउन का करिये पालन-
मानो बात कहे जो शासन-
पुलिस, मीडिया,नर्स,डॉक्टर-
प्रेम भाव से इन्हें अपनालो-
ये धर्मो की नही बीमारी-
विश्व मे जो फैली महामारी-
लोगो से नही इसे चिन्हारी-
जो भी मिलेगा उसे डसेगा-
इससे अपना हाथ भी धोलो-
देशद्रोहियों आंखे खोलो...