करने दूर अंधेरा रे मानो कहना मोरा रे.... जागरूकता गीत
ग्राम- कामता, तहसील-नवागढ़, जिला-बेमेतरा, छत्तीसगढ़ से गोकरण वर्मा बघेली भाषा में एक गीत सुना रहे हैं:
करने दूर अंधेरा रे मानो कहना मोरा रे-
कोर्ट-कचहरी तहसीलन में कोऊ ना सुने हमारी-
बिन रिश्वत के काम ना करिहैं थानेदार-पटवारी-
करिहें हेरा-फेरा मानो कहना मोरा रे-
कितनी लूट करे अधिकारी शासन ध्यान न देता-
भइया शासन ध्यान न देता-
रिश्वत खाके मोटे हो रहें भ्रष्ट भये हैं नेता-
खाएं हलवा-पेड़ा रे मनो कहना मोरा रे...
Posted on: Mar 25, 2016. Tags: GOKARAN VERMA SONG VICTIMS REGISTER
डोगरी कोरकसा तेंदू, खइली बीड बुड़ बबू...स्थानीय गीत
ग्राम-कपिलदेवपुर, जिला-बलरामपुर, छत्तीसगढ़ से कुमारी नीलम खड़गवंशी स्थानीय भाषा में एक गीत प्रस्तुत कर रही हैं, गीत का सन्दर्भ यह है कि- रास्ते में जाते समय राही को तेंदू फल दिखता है और वह खा लेता है लेकिन तेंदू फल खाने के बाद उसे पानी नहीं मिलता, जिससे वह परेशान हो जाता है:
डोगरी कोरकसा तेंदू, खइली बीड बुड़ बबू-
ई डोगरी कोरकसा तेंदू-
खती में जल गिरी पियासे चाटाबर हियां...
Posted on: Jan 06, 2016. Tags: GOKARAN VERMA SONG VICTIMS REGISTER
ए जीबन तोमाके दिलाम, श्रीचरने ठाई मोरे दियो...बांग्ला गीत
ग्राम-झल्पी, जिला-बलरामपुर, छत्तीसगढ़ से पायल राय बांग्ला में एक गीत प्रस्तुत कर रही हैं, गीत में अपने आपको ईश्वर के प्रति समर्पित कर देने का भाव है:
ए जीबन तोमाके दिलाम दया, श्रीचरने ठाई मोरे दियो-
जनोम-जनोम साथी तुमी जे या मात-
जगो ते सवार होते देश प्रिय-
श्रीचरने ठाई मोरे दियो...
Posted on: Dec 19, 2015. Tags: GOKARAN VERMA SONG VICTIMS REGISTER
ज्ञान की गंगा कन्धामाड़ माटी रे...ओड़िया जन-जागरण गीत
भुवनेश्वर, ओडिशा से गोकरण वर्मा एक स्थानीय साथी से ओड़िया भाषा में एक जन-जागरण गीत रिकॉर्ड करा रहे हैं :
ज्ञान की गंगा कन्धामाड़ माटी रे-
अस्पृश्यता मुंडाटेछिकी कन्धामाड़ माटी रे-
हेनिशाग्रा सो करी सी-
आमी सब मोड़ी सा-
किए काहें समझारे, आमे ही निवान-
किए काहें समझारे, तोर बड़ा मान-
सादिएँ कसा होई राखी भाषमान-
आमी सब मोड़ी सा-
स्वासस क सूची आमर कता-
नेईं जाए सब, आमई जता-
सादिएँ ए कता होई रखिया महत-
आमी सब मोड़ी सा...
Posted on: Sep 11, 2015. Tags: Gokaran Verma SONG VICTIMS REGISTER
हम तो लूट गयेन सरकार...छत्तीसगढ़ी गीत
ग्राम-कामता, तहसील-नवागढ़, जिला-बेमेतरा, छत्तीसगढ़ से गौकरण वर्मा एक छत्तीसगढ़ी गीत प्रस्तुत कर रहे हैं. गीत शोषितों-वंचितों पर होने वाले अत्याचार के सन्दर्भ में है:
हम तो लूट गयेन सरकार-
तोहार भरे बीच दरबार हम तो लूट गयेन हो-
खुल्लम-खुल्ला राज्य में तोहार-
होवै अनाचार रहियो-रहियो खबरदार-
कमर टूट गए महंगाई में रहन है लोटा टठिया-
हम तो हो गयेन दू कौड़ी के तुम करोड़-लखपतिया-
भूख मा जनता का करिहीन ले भागिन खटिया-पटिया-
खेत-खार सब बैंक कर जमा हो गए बंटाधार-
हाय विधाता देश में बाढ़े दिन-दिन अत्याचारी-
परमिट वाले डाकू भइगे जन सेवा अधिकारी-
कुकरी कुकरा ठान-ठान के भूंजे आरी-पारी-
खांस के मनवा करम ठठावे नहीं रोये मामू बार-
खेत बेंच के पढ़े लिखेंन हम सोच के नौकरी पाबो-
दर-दर भटके नुमर पहाड़ के गा गा अपन लाचारी-
घुसकोरी बिन जोरा जोरी हम ये पढ़के ना हो पार-
हम तो लूट गयेन सरकार...