जागा रे,जागा रे,जागा रे,जागा रे... संघटन गीत
ग्राम-बरपटिया, जिला-सूरजपुर (छत्तीसगढ़) से धन साय मरावी एक गीत सुना रहे हैं:-
जागा रे,जागा रे,जागा रे,जागा रे-
जागा रे भैया सुते न रहिहा-
फोकट में मांग-मांग लूटे लूटइया-
जागा रे,जागा रे,जागा रे...
जागा रे भैया सोवत न रहिहा-
उते बिहनिया पहुँच गए हल्ला मचाये-
हरे मोरे राम कहके नाचत दिखाए-
पाँव भी पराये लहिस तन भी कराये लेहिस-
पांच सौ इक्कावन में लेहूँ रुपया-
जागा रे, जागा रे, जागा रे...
Posted on: Mar 07, 2018. Tags: Dhan Sai Maravi SONG VICTIMS REGISTER
आमा फरे जामुन फरे फर के सब झरे रे...डमकच गीत
ग्राम-कड़चोला, ब्लाक-प्रतापपुर, जिला-सूरजपुर (छत्तीसगढ़) से धनसाय मरावी अपने साथी सीता रानी से एक डमकच गीत सुन रहे हैं :
आमा फरे जामुन फरे फर के सब झरे रे-
हवा पानी क डरे-डरे बईठल है सब घरे – सुनरी सलोनी निपा सिल बहोरे हाय रे-
पतझड़ पतझड़े सिल बहोरे हाय रे-
सिर नया कोसा धरे सुनरी सलोनी निपा फिर बहोरे...
Posted on: Oct 08, 2017. Tags: DHAN SAI MARAVI SONG VICTIMS REGISTER
हम आज नवदुर्गा के साथ साथ रावण और प्रकृति की भी पूजा कर रहे हैं यही आदिवासी संस्कृति है...
ग्राम-नौरोला, ब्लाक-प्रतापपुर, जिला-सूरजपुर (छत्तीसगढ़) से सीजीनेट जन पत्रकारिता यात्रा में धनसाय मरावी वहाँ के निवासी गोविन्द मरावी, सीताराम पोया, सुरेश पटेल से चर्चा कर रहे हैं, जहां गाँव में दुर्गा देवी पूजा का कार्यक्रम चल रहा है, वे बता रहे हैं नवदुर्गा के साथ साथ वे सुबह रावण पूजा भी करेंगे, ये पर्व इसीतरह 2 साल से यहाँ पर मनाया जा रहा है, इसके साथ ही पांच तत्व धरती, आकाश, अग्नि, वायु और जल को बड़ा देव बताया, इन्ही पांच तत्व से मिलकर मनुष्य का निर्माण हुआ है जिसकी आदिवासी पूजा करता है आदिवासी प्रकृति के पुजारी हैं और जगह-जगह पेड पर झंडा फहरा कर प्रकृति की पूजा करते हैं और उससे ताकत प्राप्त करते हैं |धनसाय मरावी@9575256339.
Posted on: Sep 30, 2017. Tags: DHAN SAI MARAVI SONG VICTIMS REGISTER
सरई के बीज को महुआ के साथ मिलाकर खा सकते हैं, पेट भी भरता है, यह हमें स्वस्थ भी रखता है...
ग्राम-उमरखोही, विकासखण्ड-गोरेला, जिला-बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में धनसाय मरावी के साथ में गाँव की महिलाये शुकवरिया और सूरज कुवर है जो सरई के पेड़ के फल का भोजन के रूप में उपयोग के बारे में चर्चा कर रहे हैं वे बता रही हैं कि इसके फल को उबालकर 4 से 5 बार उसके पानी को निकाल लेना होता है इसके पकने के बाद इसको महुआ के साथ भुन लिया जाता है उसके बाद दोनों को मिलाकर खाते है ये स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है और जिस जगह में खाने की समस्या है वे इसी का उपयोग करते है साथ ही इसका तेल भी निकलता है जो घाव को ठीक करने में काम आता है इसका औषधीय महत्व भी है | पहले हमारे पूर्वज यही सब खाते थे हमें रासायनिक खाद से बने भोजन को छोड़ जड़ी-बूटियों की ओर लौटना होगा।
Posted on: Sep 19, 2017. Tags: DHAN SAI MARAVI SONG VICTIMS REGISTER
छोला ला हरे भगवाना बचने वाला कोई नईया रे...छत्तीसगढ़ी परम्परागत गीत
ग्राम-उमरखोही, विकासखंड-गौरेला, जिला-बिलासपुर (छत्तीसगढ़) से धनसाय मरावी गाँव की कुछ महिलाओं से छत्तीसगढ़ी भाषा में एक परम्परागत गीत सुन रहे हैं :
छोला ला हरे भगवाना बचने वाला कोई नईया रे-
पानी बिन पवन पिलगा जेहि शीत बरन के-
जेहि पलंग में हवा लगे है लिए भरोषा तनके-
धुक-धुका छाती करे चुनचुना कारे जाभी रे-
नैना मा निरा बहोवाय-
यमपुर रे राजा आवे बंदिश रखे हाथी-
घर मुर्दा राखे लईके जईहा माटी-
चोला ला हरे भगवाना बचने वाला कोई नईया रे...