परदेशी रे अपनों परदेशी, थोडा दड़ान अपण परदेशी...भीली गीत
ग्राम-डबलाखोह, तहसील-कन्नोज, जिला-देवास (म.प्र.) से चिमनलाल बाथोले जी एक आदिवासी गीत गा रहे है. गीत के माध्यम से बताया गया है कि हम परदेसी हैं, कुछ दिनों में परदेश चले जाएँगे हम कुछ दिनों के मेहमान हैं. इसलिए आपको और हम लोगो को झगड़ा नहीं करना चाहिए, गुटखा नहीं खाना चाहिए.
परदेशी रे अपनों परदेशी, थोडा दड़ान अपण परदेशी
लोड़ाई नी करें णु अपण, लोड़ाई नी करें णु
लोड़ाई नी करें नु अपण, बुराई नी करें नु रे
थोडा दडान अपण परदेशी, थोडा दड़ान अपण परदेशी
परदेशी रे अपण परदेशी........
झगडो नी करेणु अपण, चोरी नी करेणु रे
थोडा दड़ान अपण परदेशी
परदेशी रे अपण परदेशी...
गुटखा नी खाणों रे, अपण पाउच नी खाणों रे
थोडा दड़ान अपण परदेशी
परदेशी रे अपण परदेशी...
दारु नी पीणों रे, अपण ताड़ी नी पीणों रे
थोडा दड़ान अपण परदेशी
परदेशी रे अपनों परदेशी....