तोर प्यार में आइझो जाइग जाओना...नागपुरी भाषा में कविता -
बीरेंद्र कुमार महतो रांची (झारखण्ड) से आदिवासी नागपुरी भाषा में एक कविता सुना रहे हैं :
तोर प्यार में आइझो जाइग जाओना-
जब मुड से मना तरे भिटाये जायेला तोर-
तोर पहिल प्यार के निशानी-
कांडी हुआ ठन जायेके ताजारोका होए जायेला-
जब पानी के परछाई में दिखे लागेला तोर सुन्दर प्यारा मुखड़ा-
इह तनघूमना-फिरना सलय-सलय हवा बयार बहे-
लुकि-छुपि तोके ये कनखी न दे मारि-
वन बहार तोमरी दिन तपनपतई बहना आयीके भेटाई जायेला-
तोर सुन्दर घुँघरू पायल सोहना सोचि-सोचि-
हिलोरे मारेला धरि-धरि हिलोर-
पहिल भोह भिटाये रही तोहेटोहे उस धन बनाये हो-
आपन अशयाना छोड़ यही सोचि कि-
एक न एक दिन भिटाये न हा पिनन लोहत बछरा...