100 में 70 आदमी फिलहाल जब नाशाद है, दिल में रख के हाथ कहिये देश क्या आज़ाद है?
भरत लाल मानिकपुरी कुछ पंक्तिओं से अपनी बात को कह रहे है:
100 में 70 आदमी फिलहाल जब नाशाद है, तो दिल में रख के हाथ कहिये देश क्या आजाद है?
कोठियों से मुल्क की सम्पन्नता मत आंकिये, असली हिंदुस्तान तो फुटपाथ पर आबाद है – ये घरती क्या आसमां भी हिल जायेगा-हर पत्थरों पर फूल कोई खिल जायेगा-
एक बार मेरे यार दिल में बसा ले सत्य गुरु को-इन्सान क्या, खुदा भी तुझे मिल जायेगा-
गाँधी के सिद्धांतों को जेल हो गई-राजनीति बेवकूफी भरा खेल हो गई-
सत्ता के विधाता धन के संतरी हो गये-डाकू और गुंडे देखो मंत्री हो गए-
अगर तुम्हारे ह्रदय में जीवन में प्रकाश चाहिए-तो दिल में गाँधी और हांथों में सुभाष चाहिए...