चिड़िया की कहानी...
राज्य-मध्यप्रदेश,बड़वानी से सुरेश कुमार कहानी सुना रहे है, एक थी होशियार चिड़िया वह चिड़िया एक दिन वह एक डबरे में पानी पिने गयी तो वह कीचड़ में पस गयी,इतने में उधर से एक गाय वाला निकला वह बोली गाय वाले भाई,गाय वाले भाई मुझे निकाल उसने कहा मेरी गाय भाग जाएगी,फिर एक भैस वाला निकला वह बोला भैस वाले भाई,बैंस वाले भाई मुझे निकाल,उसने कहा मेरी भैस भाग जाएगी,इतने में एक बिल्ली निकली,वह बोली बिल्ली मुझे बाहर निकाल,बिल्ली बोली निकलो तो सही मै तुझे खा जाऊंगा,फिर चिड़िया ने कहा पहले मुझे निकाल फिर पानी में धो फिर उसे कहा जाना,बिल्ली ने उसे कीचड़ से निकाला फिर उसे नाली में धोया और सुखाने के लिए मैदान में रख दिया,चिड़िया के पंख खुले वह उड़ कर एक झाड़ पर बैठी गयी,बिल्ली उसे ललचाही आँखों से देखने लगी,चिड़िया बोली टुकुर मुकुर क्या देखती है पहले तो खाया नहीं,और वह पुर से उड़ गयी|सम्पर्क नम्बर 9669682196,
ID(182831)
Posted on: Jan 13, 2021. Tags: BADWANI MP STORY
चकोर पक्षी, बंदर और हाथी की कहानी...
जिला-बड़वानी मध्यप्रदेश से सुरेश कुमार एक कहानी सुना रहे है बड़ा कौन है? हिमालय के पहाड़ में एक बहुत पुराना बड का पेड़ था | उस पर एक चकोर पक्षी और एक बंदर रहा करते थे और पेड़ के नीचे एक हाथी तीनो एक जगह रहा करते थे | पर उनमे हमेशा एक खट फट बनी रहती थी | आखिर उन्होंने निश्चय किया की जो कोई उनमे सबसे बड़ा होगा वे उनका कहा मानेंगे | पर यह कैसे पता लगाया जाएगा की कौन सबसे बड़ा है | जब मैंने होश सम्भाला तो इस पेड़ की चोटी मेरे पेट तक आती थी | हाथी ने कहा मैंने पृथ्वी पर बैठे मैं उसके कोमल पत्ते खाया करता था | बंदर ने कहा यहां से कुछ दूरी पर बड का पेड़ है उसके फल खाकर मैंने बोह दिया था | उससे यह पेड़ पैदा हुआ | (DW)
Posted on: Jan 11, 2021. Tags: BADWANI MP STORY
भारती पुकारती संस्कृतिक गुहारती...गीत-
जिला-बड़वानी (मध्यप्रदेश) से सुरेश कुमार एक गीत सुना रहे है:
भारती पुकारती संस्कृतिक गुहारती-
जाग नवजवान जाग राह पथ निहारती-
जाग और जग जगा जागरण के गीत गा-
देख तो सही उदर सूर्य सुबह का उगा-
खिल खिला उठी किरन तिमर को पुहारती...
Posted on: Jan 11, 2021. Tags: BADWANI MP HINDI SONG
ओस की बूँद-सी होती है बेटियां...प्रेरणादायक विचार-
सुरेश कुमार बड़वानी, मध्यप्रदेश से बेटियों के लिए कुछ लाइने सुना रहे हैं -”ओस की बूँद सी होती है बेटियां, फर्श खुरदुरा हो तो रोती है बेटियां, रोशन करेगा बेटा तो बस एक ही कुल को दो-दो कुलों की लाज को ढोती है बेटियां, हीरा है अगर बेटा तो मोती है बेटियां औरों के लिए फूल ही बोती है बेटियां, मिट्टी में मर-नीर सी होती है बेटियां, घर की शान होती है बेटियां, माँ-बहन, पत्नी का फ़र्ज निभाती है बेटियां, इस कुल को आगे बढाती है बेटियां, सोना है अगर बेटा तो चांदी है बेटियां,बेटे को अच्छा खाना खिलाते हैं तो बेटियों को जूठन, बेटियां हो तो गृहस्थी को सजाती है, बेटियां हो तो दूसरों के आँगन की लाज बन जाती है, ओस की बूँद सी होती है बेटियां, इस फर्श खुरदुरा हो तो रोती है बेटियां”|
Posted on: Jan 06, 2021. Tags: BADWANI MP POEM
आई ऋतु जब बसंत की तन मन सब खिल उठा...कविता-
बड़वानी मध्यप्रदेश से सुरेश कुमार कविता सुना रहे है:
आई ऋतु जब बसंत की तन मन सब खिल उठा-
तरु तरु डाली डाली अंग अंग महक उठा-
आई ऋतु जब बसंत की कोयल छिप कर-
आम की पत्तो में मनोहर गजल की कुक से-
सबके मृदुल ह्रदय को छू गयी... DW