रोजगार गारंटी के मजदूरों ने कराई जन सुनवाई है...एक कविता
रोजगार गारंटी के मजदूरों ने कराई जन सुनवाई है
जिम्मेदार लोगों को उनका वादा याद दिलाई है
सौ दिन के काम का था वादा
परंतु दाम और भुगतान में मुश्किलें हैं ज़्यादा
सोचा था काम के लिए रोज़गार गारंटी का वरदान पाया है
परंतु मेहनत का न हमने भुगतान पाया है
जॉब कार्ड रख लेता है पंचायत
अब किससे करे शिकायत
बैंक दौडाता है बार बार
इससे हमारी भावनाएं हो रही हैं तार तार
इसीलिए अब हमने संघर्ष का बीडा उठाया है
प्यारे मज़दूर साथियों वक्त ने हमें यह सिखलाया है
हम मज़दूरों का संघर्ष से है पुराना वास्ता
इसीलिए हमने चुना है गांधीजी वाला रास्ता
अशोक बिस्वास
Posted on: Mar 05, 2011. Tags: Ashok Biswas
ये सब इसलिए क्योंकि मैं गंवार हूं...
हां मैं गंवार हूं
चम्मच से मुझे खाने की आदत नहीं
छूरी की मुझे जरूरत नहीं
मैं खाता हूं ज़मीन काटकर
मैं खाता हूं सबको बांटकर
इसलिए कि मैं गंवार हूं
मेरे बच्चे स्कूल में पढ नहीं पाते
बेरहम दुनिया से लड नहीं पाते
तभी तो वो सफलता की सीढी चढ नहीं पाते
इसलिए कि मैं गंवार हूं
जीवन भर मैं औरों के लिए बनाता हूं महल
हर काम की मुझसे ही होती है पहल
फिर भी मैं रहता हूं झोपडी में
दुख और गरीबी ही है मेरी टोकरी में
इसलिए कि मैं गंवार हूं
गरीबी ही है मेरी हमजोली
बीमारी मेरी दीवाली
और मौत ही मेरी होली
ये सब इसलिए क्योंकि मैं गंवार हूं