कविता : फूलों से नित हँसना सीखो, भौंरों से नित गाना-
ग्राम-सिवनी जिला-बिलासपुर (छत्तीसगढ़) से अधिका शर्मा कविता सुना रही है:
फूलों से नित हँसना सीखो, भौंरों से नित गाना-
तरु की झुकी डालियों से नित, सीखो शीश झुकाना-
सीख हवा के झोकों से लो, हिलना, जगत हिलाना-
दूध और पानी से सीखो, मिलना और मिलाना-
सूरज की किरणों से सीखो, जगना और जगाना-
लता और पेड़ों से सीखो, सबको गले लगाना
मछली से सीखो स्वदेश के लिए तड़पकर मरना-
पतझड़ के पेड़ों से सीखो, दुख में धीरज धरना-
पृथ्वी से सीखो प्राणी की सच्ची सेवा करना-
दीपक से सीखो, जितना हो सके अँधेरा हरना!-
जलधारा से सीखो, आगे जीवन पथ पर बढ़ना-
और धुएँ से सीखो हरदम ऊँचे ही पर चढ़ना...