घर में बाते एकांत, मै रटने लगा डार्विन का सिद्धांत...व्यंग्य
ग्राम-सर्नाड़ी, जिला-बलरामपुर (छत्तीसगढ़) से जसवंत सिंह एक व्यंग्य कविता सुना रहे है:
घर में बाते एकांत, मै रटने लगा डार्विन का सिद्धांत
क्या हमारे पूर्वज बन्दर थे और जब मै रट रहा था तो पिताजी अन्दर थे-
वे आए और चिल्लाए क्या करता है, पूर्वज को बन्दर कहता है-
सोचा था पढेगा लिखेगा बाप दादों का नाम रोशन करेगा-
नाम रोशन तो दूर उलटे बता रहा उनको लंगूर-
पिताजी ने एक खींच के हाँथ दिया मैंने डार्विन साहब को याद किया-
कि आप तो मर गए मेरी जान को मुसीबत कर गए...