माटी ला छोड़ि तै कहां जाबे रे संगी, माटी के कर्जा चुकाना...छत्तीसगढ़ी गीत
जिला-बलरामपुर, छत्तीसगढ़ से सरला श्रीवास छत्तीसगढ़ी भाषा में एक माटी का गीत प्रस्तुत कर रही हैं:
माटी ला छोड़ि कहां जाना-
माटी ला छोड़ि तै कहां जाबे रे संगी, माटी के कर्जा चुकाना-
येही माटी माँ रे संगी खेले-कूदे है-
येही माटी मा मिल जाना-
माटी ला छोड़ि कहां जाना-
ये भूइयां के लालन बेटा, तै तो सिधवा नाम रे-
येही करम है येही धरम है येही गंगा धाम रे-
डोरी जिन टूटै रे संगी, बंधना जनि छूटै रे संगी-
भूइयां ले रिश्ता निभाना, हू लाला भूइयां रिश्ता निभाना-
माटी ला छोड़ि कहां जाना...