नीमिया पतइया झरि जाला, अंगनवां कइसे बहारूं जी...विवाह गीत
ग्राम-संतोषी नगर, जिला-बलरामपुर, छत्तीसगढ़ से कुछ छात्राएं एक गीत प्रस्तुत कर रही हैं, गीत का सन्दर्भ यह है कि घर में नई-नवेली बहू नीम के पत्तों, कचरों से अनुरोध करती है कि जेठजी सामने बैठे हैं कृपया आँगन में मत आओ, मुझे बहारने में दिक्कत होगी:
नीमिया पतइया झरि जाला, अंगनवां कइसे बहारूं जी-
ओहि रे अंगनवां में ससुरजी के डेरा-
घुंघटा कढ़त दिन जाला, अंगनवां कइसे बहारूं जी-
ओहि रे अंगनवां में भसुरजी के डेरा-
घुंघटा कढ़त दिन जाला, अंगनवां कइसे बहारूं जी...