कितना शर्म की बात है....कविता
रायपुर, छत्तीसगढ़ से भागीरथी वर्मा एक कविता प्रस्तुत कर रहे हैं:
मुट्ठीभर लोग कुर्सी पर बैठकर-
देश में असहिष्णुता फैला रहे हैं-
गोमांस, सांप्रदायिक सौहार्द्र की बात करते हैं-
शिक्षा के भगवाकरण पर जोर दे रहे हैं-
अपना वेतन ढाई लाख और देश का विकास करने वाले-
मजदूरों का वेतन पांच हजार लगा रहे हैं-
कितना शर्म की बात है-
और तो और छत्तीसगढ़ की जनता को अनपढ़ रहने के लिए-
तीन हजार स्कूल बंद कर दिए-
आज की सरकार से अच्छा तो अंग्रेज था-
जो जनता को शिक्षित करने खातिर स्कूल खोला था-
जनता का शोषण करने आप अंग्रेज से भी आगे निकल गए-
वक्त है संभल जाओ ! नहीं तो आपका भी वही दुर्दशा होगा-
जो वर्षों पहले अंग्रेज का हुआ था-
अंग्रेज भी गोले बन्दूक पर विश्वास करते थे-
और आप भी गोली-बन्दूक पर विश्वास करते हैं-
आज समय है देशवासियों के लिए ऊँचा सोचने का-
समस्या का समाधान करने का न कि फूट डालो और राज करने का...