धरती ला कहत-कहत, चौरा छबवे हरे...सरगुजिहा विवाह गीत
ग्राम-देवरी, जिला-सूरजपुर, छत्तीसगढ़ से कैलाश सिंह पोया आदिवासी समाज का पारंपरिक गीत प्रस्तुत कर रहे हैं जिसे शादी के अवसर पर आँगन में चबूतरा बनाकर, बड़ादेव को साक्षी मानकर गाते हैं :
धरती ला कहत-कहत-
चौरा छबवे हरे, धरती ला कहत-कहत-
चौरा छबवे रे झालर खुहुटा माड़ा वाताना-
माड़ वाता ना वे-
अरे ललना रे हमरे चहुंरा छवा -