इसलिए राह संघर्ष की हम चुनें, जिंदगी आंसुओं से नहाई ना हो...
अनीमा बनर्जी, छत्तीसगढ़ से एक संघर्ष गीत प्रस्तुत कर रही हैं :
इसलिए राह संघर्ष की हम चुनें – जिंदगी आंसुओं से नहाई ना हो – शाम सहमी न हो रात हो ना डरी-
भोर की आँख फिर डबडबाई ना हो – सूर्य पर बादलों का न पहरा रहे – रौशनी रोशनाई में डूबी ना हो-
यूँ न ईमान फुटपाथ पर हो खड़ा – हर समय आत्मा सबकी ऊबी ना हो-
आसमां में टंगी हो न खुशहालियां –
कैद महलों में सबकी कमाई ना हो – कोई अपनी ख़ुशी के लिए गैर की –
रोटियां छीन ले हम नहीं चाहते – छींटकर थोड़ा चारा कोई उम्र की – हर ख़ुशी बीन ले हम नहीं चाहते – हो किसी के लिए मखमली बिस्तरा –
और किसी के लिए एक चटाई ना हो – अब तमन्नाएं फिर ना करें खुदकुशी-
खोभ पर खोभ की चौकशी ना रहे-
श्रम के पांव में हो ना पड़ी बेड़ियां-
सत्य की पीठ पर ज्यादती ना सहे-
दम ना तोड़े कहीं भूख से बचपना-
रोटियों के लिए फिर लड़ाई ना हो – इसलिए...इसलिए...