मै बेरोजगार हूँ, रोजगार चाहता हूँ, पर झारखण्ड में ये संभव नहीं है...पलायन पर कविता
गिरिडीह, झारखण्ड से वी के वर्मा झारखण्ड से पलायन क्रर रहे मजदूरों पर एक कविता प्रस्तुत कर रहे हैं:
मै बेरोजगार हूँ, रोजगार चाहता हूँ – पर झारखण्ड में, ये संभव नहीं है –
पर झारखण्ड में...
मै भूखा हूँ, खाने का निवाला दो-चार चाहता हूँ – पर झारखण्ड में ये संभव नहीं है – पर झारखण्ड में...
मेरा परिवार भी सोता है भूखा – नसीब नहीं होता है इनको भोजन रुखा-सूखा – इसलिए मैं अपने झारखंडी होने का अधिकार चाहता हूँ – पर झारखण्ड में ये संभव नहीं है – पर झारखण्ड में...
औरों की तरह मै भी अपने परिवार के संग रहकर – बच्चों का प्यार चाहता हूँ – पर झारखण्ड में ये संभव नहीं है – पर झारखण्ड में.........
बस यहाँ हमारे जैसे लोगों के लिए एक ही विकल्प है – पलायन...पलायन...पलायन-
सिर्फ और सिर्फ पलायन – इसलिए इसका मैं कोई उपचार चाहता हूँ – पर झारखण्ड में ये संभव नहीं है – पर झारखण्ड में...
कब आएगा ऐसा एक नया सवेरा – जो गम बांट लेगा मेरा – कब आएगा ऐसा एक नया सवेरा – जो दुःख बांट लेगा मेरा – इसका मै इंतजार करता हूँ – पर झारखण्ड में ये संभव नहीं है –
पर झारखण्ड में...
इसलिए ये झारखण्ड है क्योंकि – यहाँ हमारे स्तर के गरीब लोगों के लिए – कुछ भी सम्भव नहीं है – कुछ भी सम्भव नहीं है...