मन है तो तन है, वन ही जीवन है...
झारखंड के बोकारो से वासुदेव तुरी, खनन और कटते जंगल के कारण पर्यावरण के लगातार प्रदूषित होने पर चिंता जाहिर करते हुए एक गीत प्रस्तुत कर रहे हैं:
मन है तो तन है, वन ही जीवन है-
हे दादा दे दे धेयनवा, हे काकी दे दे धयनवा-
उजड़ल जाए रोज दिना बनवा-
मन हैं तो तन हैं...
झूरे-झारे मैना उड़े, डाली-डाली पड़इया-
पाते-पाते मोर नाचे, कूके है कोयलिया-
मन है तो तन है...
टूंगडी-टूंगडी हरियाली दिखे-
पहाड़-पर्वत-झरना बहे-
ये तो देखि के ही, मन माही मोहे-
मन हैं तो तन हैं...