चलो सब मिलजुल के एकता बनाबो गा, करम खुलि गे...
ग्राम-कुकदुर, तहसील-पंडरिया, जिला-कबीरधाम, छत्तीसगढ़ से चेहत्तर सिंह धुर्वे जल-जंगल जमीन और आदिवासी हक़-हुकूक के सन्दर्भ में छत्तीसगढ़ी भाषा में एक गीत प्रस्तुत कर रहे हैं:
चलो सब मिलजुल के एकता बनाबो गा, करम खुलि गे-
खेती मा फसल उपजाबो-
ऐपूर खाके कब्ज़ा ला, ऐपुर खाके...हाय रे...
ऐपुर खाके कब्ज़ा ला नाम चढ़वाबो गा-
करम खुलि गे, खेती मा...
ऐपुर खाके कब्जा ला संगी-
आपण नाम चढ़वाबो-
मोर भाई...
ये अधिकार पत्र ला पाबो...
मोर भाई...
बैगावासी के ताकत ला-
बैगावासी के ताकत ला बढ़ाबो गा-
करम खुलि गे-
जीरी-मिली फसल उपजाबो...
जन-जन के नारा हवे......
एकता संगठन हमारा हो भाई-
बैगा आदिवासी मन के-
संगठन ला सहारा हो भाई-
खेती मा फसल उपजाबो...