अधिकतर यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले शोषक बन जाते हैं...एक कविता
जिला-रायपुर, छत्तीसगढ़ से भागीरथी वर्मा जी, जो एक मजदूर हैं साओजी भाई ढ़ोलकिया पर एक एक स्वरचित कविता सुना रहे हैं जिन्होंने इस बार दीवाली में अपने कर्मचारियों को खूब बोनस बांटा है और हाल में अखबारों में छाए रहे हैं :
चौथी पढ़े साओजी भाई ढ़ोलकिया का, दरिया दिल का क्या कहना
शायद यूनिवर्सिटी में पढ़कर आता, तो मैं इतना बोनस नहीं बाँट पाता
मै जो हूँ, कर्मचारियों के मेहनत से, ऐसे में मुनाफा अकेले कैसे पचा पाते
प्यारे-बेचारे अपने कर्मचारियों के बोनस में, फ्लैट-कार और हीरे के आभूषण बाँटे
ऐसा मुझे लगता है, ऐसा मुझे लगता है
अधिकतर यूनिवर्सिटी में, पढ़ने वाले शोषक बन जाते हैं
मजदूरों की गाढ़ी कमाई, अकेले ही डकार जाते हैं...