चलों खुशियाँ लुटाएं, चलो दीवाली मनाएं...
कानपुर, उत्तरप्रदेश से के.एम. भाई दीवाली पर्व पर एक कविता सुना रहे हैं:
चलों खुशियाँ लुटाएं, चलो दीवाली मनाएं
एक पल के लिए ही सही, चलो किसी चेहरे पर ख़ुशी लुटाएं
एक लम्बी डोर ना सही, चलो किसी टूटते रिश्ते में एक मोती पिरोएं
एक रात के लिए ही सही, चलो किसी उजड़ते घर में रौशनी का एक दिया जलाएं
चलों खुशियाँ लुटाएं, चलो दीवाली मनाएं -2
एक सपना ही सही, चलो आज एक सभ्य समाज की आस जगाएं
झूठा ही सही, चलो फिर से एक बार जश्न मनाएं
चलों खुशियाँ लुटाएं, चलो दीवाली मनाएं
अकेले ही सही, चलो आज अँधेरे को जीतने का साहस जुटाएं
अपने लिए ही सही, चलो आज खुशहाली की एक लौ जलाएं
चलों खुशियाँ लूटाएं...