लिच क लिचा पानी झरा नो...ओड़िसा से आदिवासी प्रेम गीत
ओडिशा के मलकानगिरी जिले के कोरकोंडा ब्लॉक के तारलाकोटा गाँव से कार्तिक केमुदु अपनी स्थानीय भाषा में एक गीत गा रहे हैं . यह एक प्रेम गीत है जिसमें धांगडा आदिवासी युवा चैत्र व दशहरा के मौके पर अपनी प्रेमिका के खूबसूरती की तारीफ करते हुए गाते हैं,उसके बाल, उसकी आँखें कैसी हैं...
लीच क लिचा रे...लीच क लिचा रे
लिच क लिचा पानी झरा नो
तुम्हार डालिया खुश के मोनो काई
लीच क लिचा रे.....
को रे र पोडिला जोनो कै
लीच क लिचा कु रे पोडिला जोनो
धीरे -धीरे करी मुचुकी मारा नोनी
मोरो मन के गाला परा
लीच क लिचा रे......
तुम्हार दोबोला जो टोके मोनो काई
एमके-तुमके एका बोडे मोनो काई
लीच क लिचा रे.......
गिलासे गोलिली निलि कै लिच क लिचा
धीरे -धीरे कोरी मूचो की मारा नोनी
मोर मन के गाला परा
लीच क लिचा रे........
लीच क लिचा रे ...लीच क लिचा रे
लिच क लिचा पानी झरा नो