A message in Kuduk about Adivasi Sarhul festival
सरहुल (खड्डी परब ) छोतानाग्पुरी आदिवासियों के कई त्योहारों में सरहुल एक मुख्य त्यौहार है जो होली के बाद बैसाख (अप्रैल मई ) में धूम धाम से मनाया जाता है | आदिवासियों के अधिकांश त्यौहार कृषि से सम्बंधित है | आदिवासियों का मानना है की इश्वर की कृपा धरती को मिली और इस साल पैदावार अच्छी होगी | इस समय पतझड़ के बाद पेड़ पौधों में नए कोपलें , नई पत्तियां और सारी प्रकृति फूलों से लद जाती है | पतझड़ के बाद प्रकृति और जीव जंतु में नया जीवन आ जाता है | इस त्यौहार में बैगा सरना के साल पेड़ के नीचे जमीन की उर्वरता के लिए धरती के सृष्टिकर्ता को पूजा चढ़ाता है | पूजा के बाद गाँव के लड़के लड़कियां साल फूल से सजकर अखाड़े में मंदर नागेदा के साथ खूब नाचते हैं | नए साल की खेती की उम्मीद की जाती है |