अरे कीर्तन से दिल न चुराना रे, इस जीवन का कोई न ठिकाना...
अलिराज़पुर मध्यप्रदेश से कुसुम सोलंकी का एक गीत-
अरे कीर्तन से दिल न चुराना रे, चुराना रे
इस जीवन का कोई न ठिकाना
यह जीवन रे मिट्टी का गोला
हवा लागे तो उड़ जाना रे, उड़ जाना रे
इस जीवन का कोई न ठिकाना
अरे कीर्तन से दिल न चुराना रे, चुराना रे
इस जीवन का कोई न ठिकाना
यह जीवन है कागज की पुड़िया
हवा लागे तो उड़ जाना रे, उड़ जाना रे
इस जीवन का कोई न ठिकाना
अरे कीर्तन से दिल न चुराना रे, चुराना रे