हाथी आ बबुआ, हाथी आ बेटाया...मुंडारी गीत
बुधुआ मुंडा, गाँव डूमरु, प्रखंड बनगांव, जिला पश्चिम सिंहभूम (झारखण्ड) से बोल रहे हैं कि सीजीनेट पर वे हमेशा सुनते हैं कि हांथियों ने हमला कर दिया या नुकसान कर दिया. इसीलिए हाथियों पर मुंडारी भाषा में एक गीत गा रहे हैं .साथी ने गीत के माध्यम से सलाह दी है कि हांथियों और सभी जीव-जंतुओं से प्रेम करें, तो वो भी हमें अपना मित्र समझेंगे और तब हमारा किसी भी प्रकार का नुक्सान नहीं करेंगे. यही प्रकृति का नियम है:
हाथी आ बबुआ, हाथी आ बेटाया
चेले का चिलिका में सोंसू न बबुआ
चेले का चिलिका में केलोड़ी अदवा
आटा दो माटा दो, ब्रेको जा ताला रे
गेनेदाडीम केसा के, गेनेदाडीउ ट्रुर्रर्रर्रर्रर्र के तां,
गेनेदाडीम.......