नावा मामा ना टूरी वो, केंजा नवा गोंडी पाटा...गोंडी लोकगीत
ग्राम-लामता, जिला-बालाघाट, मध्य प्रदेश से ब्रजलाल टेकामजी एक पारम्परिक गोंडी लोकगीत गा रहे हैं. गीत में जीजा अपनी शाली से हंसी-ठिठोली करते हुए गानें में कुछ कहना चाह रहे हैं:
भीमिर-भिमिर पीर वाईता, ढोड़ा उषा वाता
अन सांगो घुस्सूर बैसी, बोट्टे देहकी लाता
नावा मामा ना टूरी वो, केंजा नवा गोंडी पाटा
नावा मामा ना टूरी वो...
पुपुल दाड़ी, पुपुल दाड़ी, व्ईयो हिल्ले बाड़ी
अनि अन सांगो, जल्दी-जल्दी छूटे मायल गाड़ी
नावा मामा ना टूरी वो...
कनकी ता गाटो, चिरोटा ता भाजी
अनि आलू भट्टा परो, सांगो-अरसिता गाजी
नावा मामा ना टूरी वो...
ठेका ते ठेका अनि, तोड़ी ता ठेका
ना संग दे ऐन्दिकी ते, पैसा नना सेका
नावा मामा ना टूरी वो...