हारना है मौत, तुम जीत बनो रे...एक संघर्ष गीत
लड़ते हुए सिपाही का गीत बनो रे
हारना है मौत, तुम जीत बनो रे
जब बैठे-बैठे आँखे भर आये दुःख से
तब सोचना दिन कैसे बीतेंगे सुख से
दुःख की लकीरे मिट जाएंगी मुख से
सूरज सा उगने की रीत बनो रे
माथे से छलके भाई जब भी पसीना
एक पल कबौ के भी होने से जीना
तब देखना कैसे फड़केगा सीना
सीने में धड़के वो संगीत बनो रे
लड़ते हुए सिपाही का गीत बनो रे
पाप का घड़ा तो आखिर फूटेगा भाई
पापी किस,किस से फिर छूटेगा भाई
कोई लुटेरा कब तक लूटेगा भाई
खून-पसीने के मीत बनो रे
लड़ते हुए सिपाही का गीत बनो रे
फूलों से खिलना सीखो, पक्षी से उड़ना
पेड़ों की छावं बनकर धरती से जुड़ना
पर्वत से सीखो कैसे चोटी पे चढ़ना
गेहूं के दानो सी प्रीत बनों रे