रोजगार गारंटी के मजदूरों ने कराई जन सुनवाई है...एक कविता
रोजगार गारंटी के मजदूरों ने कराई जन सुनवाई है
जिम्मेदार लोगों को उनका वादा याद दिलाई है
सौ दिन के काम का था वादा
परंतु दाम और भुगतान में मुश्किलें हैं ज़्यादा
सोचा था काम के लिए रोज़गार गारंटी का वरदान पाया है
परंतु मेहनत का न हमने भुगतान पाया है
जॉब कार्ड रख लेता है पंचायत
अब किससे करे शिकायत
बैंक दौडाता है बार बार
इससे हमारी भावनाएं हो रही हैं तार तार
इसीलिए अब हमने संघर्ष का बीडा उठाया है
प्यारे मज़दूर साथियों वक्त ने हमें यह सिखलाया है
हम मज़दूरों का संघर्ष से है पुराना वास्ता
इसीलिए हमने चुना है गांधीजी वाला रास्ता
अशोक बिस्वास